बिहार चुनाव 2020 की साज नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव किसके माथे पर सजेगी ताज
ऐसे में आज बिहार विधानसभा चुनाव का एक्जिट पोल आने वाला है तो क्या इस बार का ताज बिहार के गरीबों के मसीहा लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के नाम सजेगी या सुशासन बाबू नीतीश कुमार के नाम।
तो आइयें जानते हैं अपने विचारों के माध्यम से।
एक तरफ़ सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार जो पिछ्ले 15 वर्षों से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। जिनका चुनाव चिन्ह तीर छाप हैं। और ये JDU के अध्यक्ष भी हैं।
उनके शासन-काल में बिहार के रूप रेखा में बहुत बदलाव देखने को मिला है। जब नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री 2005 में बने तो उससे पहले बिहार की एक अलग ही दशा थी।
चारों तरफ़ बाहुबलियों का खौंफ था। जगह-जगह लूटमार चोरी डकैती होती रहती थी।
आयें दिन कोई ना कोई घटना होते रहता था। न बिजली का साधन था और ना ही रोड का विकास। न जनता का कोई सुनने वाला था और न ही उनके मदद का कोई जुगार।
ऐसे में नीतीश कुमार के शासन में इन सब चीजों से कहीं न कहीं जनता को आराम मिला हैं। अब तो हमलोग बेबाक अंदाज में बोलते हैं लिखते हैं।
पहले तो बाहुबलियों के डर से कोई सामने खड़ा नही होता था आज वहीं हमलोग सिनातान खड़े रहते हैं।
दुसरी तरफ़ हैं एक ऐसी पार्टी जिसका जीर्णोद्धार एक ऐसे व्यक्ति के नाम जाती हैं जिसे बिहार में लोग गरीबों के मसीहा के नाम से नाम जानते हैं। जिनका नाम हैं लालू प्रसाद यादव। जिनका चुनाव चिन्ह लालटेन छाप हैं।
जब बिहार की राजनीति अंधेरे में थी तब लालू प्रसाद यादव यादव जी ने अपने लालटेन के माध्यम से उस अंधेरे को खत्म किया और बिहार के लोगों के दिलों में अपना छाप छोरा जो अभी तक देखने को मिलता हैं।
लालू प्रसाद यादव बिहार के पहले मुख्यमंत्री 1990 में बने।उसके बाद लगातार उनकी सरकार 2005 तक बनी रही।
लेकिन इनके शासन काल में बाहुबलियों का खौंफ कुछ ज्यादा ही देखने को मिला इसलिए आज भी लोग इनकी सरकार के बनने से डरते हैं।
लेकिन समय बदल चुका है। बहुत सारा बदलाव देखने को मिला हैं। लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव जो इस बार RJD के तरफ़ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं उन्होने जनता से वादा भी किया हैं विकास का, नौकरी देने का।
तो ऐसे में क्या जनता इस विधान सभा चुनाव में इनका साथ देगी? ये तो 10 तारीख को ही पता चलेगा।
0 Comments